Poem On Nature In Hindi | प्रकृति पर कविता हिंदी में

Poem On Nature In Hindi: सदियों से, मानवता ने सबसे उत्कृष्ट चमत्कार: प्रकृति की अनदेखी की है। इसकी सुंदरता अक्सर हमसे तब तक दूर रहती है जब तक कि एक क्षणभंगुर क्षण हमारा ध्यान आकर्षित नहीं कर लेता, और हम खुद को मंत्रमुग्ध नहीं पाते। फिर भी, हम कितनी बार सचमुच इसके वैभव में डूब जाते हैं? अफसोस की बात है कि हम प्रकृति को केवल थकान या हताशा के क्षणों में याद करते हैं, उसके आलिंगन में सांत्वना तलाशते हैं। हम केवल अपनी जरूरतों के लिए प्रकृति की ओर रुख करते हैं, बिना किसी कारण के इसकी उपस्थिति का आनंद लेने की उपेक्षा करते हैं।

जो लोग प्रकृति की भव्यता की सराहना करने की इच्छा रखते हैं, लेकिन खुद को ऐसा करने में असमर्थ पाते हैं, वे इसके सार का जश्न मनाने वाले काव्य छंदों में शामिल होने पर विचार करें। प्रकृति पर ये खूबसूरत कविताएँ, इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हैं, प्राकृतिक दुनिया के साथ हमारे आंतरिक संबंध की याद दिलाती हैं। इस पोस्ट में, हम ऐसे मंत्रमुग्ध कर देने वाले छंदों के माध्यम से एक यात्रा शुरू करते हैं, जो सभी के साथ गूंजने की उम्मीद करते हैं, विशेष रूप से प्रकृति-आधारित विषयों में लगे छात्रों के लिए। आइए Poem On Nature In Hindi पर नजर डालते हैं ।

Poem On Nature In Hindi | प्रकृति पर कविता हिंदी में

Prakriti ki Lila Nayari Poem in Hindi

प्रकृति की लीला न्यारी,
कहीं बरसता पानी, बहती नदियां,
कहीं उफनता समंद्र है,
तो कहीं शांत सरोवर है।

प्रकृति का रूप अनोखा कभी,
कभी चलती साए-साए हवा,
तो कभी मौन हो जाती,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी गगन नीला, लाल, पीला हो जाता है,
तो कभी काले-सफेद बादलों से घिर जाता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी सूरज रोशनी से जग रोशन करता है,
तो कभी अंधियारी रात में चाँद तारे टिम टिमाते है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी सुखी धरा धूल उड़ती है,
तो कभी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कहीं सूरज एक कोने में छुपता है,
तो दूसरे कोने से निकलकर चोंका देता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

– नरेंद्र वर्मा

Heart Touching Poem On Nature In Hindi

हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
हर दिन तेरी लीला न्यारी,
तू कर देती है मन मोहित,
जब सुबह होती प्यारी।

हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
सुबह होती तो गगन में छा जाती लाली मां,
छोड़ घोसला पंछी उड़ जाते,
हर दिन नई राग सुनाते।

हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
कहीं धूप तो कहीं छाव लाती,
हर दिन आशा की नई किरण लाती,
हर दिन तू नया रंग दिखलाती।

हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
कहीं ओढ़ लेती हो धानी चुनर,
तो कहीं सफेद चादर ओढ़ लेती,
रंग भतेरे हर दिन तू दिखलाती।

हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
कभी शीत तो कभी बसंत,
कभी गर्मी तो कभी ठंडी,
हर ऋतू तू दिखलाती।

हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
कहीं चलती तेज हवा सी,
कही रूठ कर बैठ जाती,
अपने रूप अनेक दिखलाती।

हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
कभी देख तुझे मोर नाचता,
तो कभी चिड़िया चहचाती,
जंगल का राजा सिह भी दहाड़ लगाता।

हे प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
हम सब को तू जीवन देती,
जल और ऊर्जा का तू भंडार देती,
परोपकार की तू शिक्षा देती,
हे प्रकृति तू सबसे प्यारी।

– नरेंद्र वर्मा

Short Poem On Nature In Hindi

प्रकृति की लीला न्यारी,
कहीं बरसता पानी,
बहती नदियां, कहीं उफनता समंद्र है,
तो कहीं शांत सरोवर है।

प्रकृति का रूप अनोखा कभी,
कभी चलती साए-साए हवा,
तो कभी मौन हो जाती,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी गगन नीला, लाल, पीला हो जाता है,
तो कभी काले सफेद बादलों से घिर जाता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी सूरज रोशनी से जग दोशन करता है,
तो कभी अंधियारी रात में चाँद तारे टिम टिमाते है,
प्रकृति की लीला न्यारी है। कभी सुखी धरा धूल उड़ती है,
तो कभी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कहीं सूरज एक कोने में छुपता है,
तो दूसरे कोने से निकलकर चोंका देता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

Rhyming Poem On Nature In Hindi

प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है,
मार्ग वह हमें दिखाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

नदी कहती है’ बहो, बहो
जहाँ हो, पड़े न वहाँ रहो।
जहाँ गंतव्य, वहाँ जाओ,
पूर्णता जीवन की पाओ।
विश्व गति ही तो जीवन है,
अगति तो मृत्यु कहाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

शैल कहतें है, शिखर बनो,
उठो ऊँचे, तुम खूब तनो।
ठोस आधार तुम्हारा हो,
विशिष्टिकरण सहारा हो।
रहो तुम सदा उर्ध्वगामी,
उर्ध्वता पूर्ण बनाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

वृक्ष कहते हैं खूब फलो,
दान के पथ पर सदा चलो।
सभी को दो शीतल छाया,
पुण्य है सदा काम आया।
विनय से सिद्धि सुशोभित है,
अकड़ किसकी टिक पाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

यही कहते रवि शशि चमको,
प्राप्त कर उज्ज्वलता दमको।
अंधेरे से संग्राम करो,
न खाली बैठो, काम करो।
काम जो अच्छे कर जाते,
याद उनकी रह जाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

Small Poem On Nature In Hindi

प्रकृति कुछ़ पाठ़ पढ़ाती हैं,
मार्गं वह हमे दिखातीं हैं।
प्रकृति कुछ़ पाठं पढ़ाती हैं।
नदी क़हती हैं’ ब़हो, ब़हो
जहां हो, पड़े न वहां रहों।
जहां गंतव्य, वहां जाओं,
पूर्णंता जीवन की पाओं।
विश्व ग़ति ही तो जीव़न हैं,
अग़ति तो मृत्यु क़हाती हैं।
प्रकृति कुछ़ पाठ़ पढ़ाती हैं।
शैल क़हते हैं, शिख़र ब़नो,
उठों ऊँचें, तुम खूब़ तनो।
ठोस आधार तुम्हारा हों,
विशिष्टिक़रण सहारा हों।

रहों तुम सदा उर्ध्वंगामी,
उर्ध्वंता पूर्णं ब़नाती हैं।
प्रकृति कुछ़ पाठ़ पढ़ातीं हैं।
वृक्ष क़हते है खूब़ फलों,
दान कें पथ़ पर सदा चलों।
सभीं कों दो शीतल छाया,
पुण्य हैं सदा क़ाम आया।
विनय से सिद्धि सुशोभित है,
अक़ड़ किसकीं टिक़ पाती हैं।

प्रकृति कुछ़ पाठ़ पढ़ातीं हैं।
यहीं कहतें रवि शशिं चमकों,
प्राप्त क़र उज्ज्वलता दमको़।
अधेरे़ से संग्राम क़रो,
न खाली बैठों, काम़ क़रो।
काम जो़ अच्छे़ क़र जाते,
याद उनकीं रह जाती हैं।
प्रकृति कुछ पाठ़ पढ़ाती है।

निष्कर्ष

दोस्तों हमें उम्मीद हैं की हमारे द्वारा प्रस्तुत Poem On Nature In Hindi | प्रकृति पर कविता हिंदी में पसंद आयी होगी। अगर आप Poems About Nature In Hindi से जुड़ा कोई सवाल हैं तो निचे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं।

Leave a Comment